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नेताजी की इमेज बिल्डिंग ।

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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उत्तर प्रदेष चुनाव के साथ हीं इवेंट एवं एड कंपनियों की भी पौ बारह हो गयी है। पोस्टर एवं फिल्म बनाने से लेकर इन कंपनियों ने नेताजी के इमेज बिल्डिंग का भी ठेका ले रखा। वैसे हमारे क्षेत्र के नेताजी के चेहरे पर चिंता की जगह मुस्कान तैर रही है । मानो अभी – अभी वे शादी किये हों और बीवी को देखकर फूले न समां रहे हों। इन दिनों बच्चों को देखकर उनके ह्रदय में ममता उमड़ पड़ती है। उनके हाथ बरबस उन्हें प्यार करने के लिए उठ जाते हैं। धीर -गंभीर चेहरे पर खेलती मुस्कान लोगों को पशोपेश में डाल रही है। ऐसे समय में जब और नेताओं की रातो की नीद हराम है। हमारे नेताजी मानो चुनाव पहले जीत चुके हों। दरअसल नेताजी के स्वभाव में यह परिवर्तन एक विज्ञापन एजेंसी से जुड़ने के साथ शुरू हुआ है। विज्ञापन एजेंसी ने उनके इमेज बिल्डिंग का ठेका ले रखा है । एजेंसी ने नेताजी को सलाह दी है कि भले हीं कोमलता उनके स्वाभाव का अंग न हो । लेकिन नेता बने रहने के लिए कोमलता धारण करना बहुत जरुरी है। बहुत से नेता जो अन्दर से सरल एवं सीधे दीखते है क्या अन्दर से वे उतने सरल एवं सीधे होते हैं । विज्ञापन एजेंसी का यह भी कहना है की नेता बने रहने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलना भी जरुरी है । कहावत भी है जहाँ जैसा तहां वैसा नहीं तो नेता कैसा। विज्ञापन एजेंसी के अधिकतर सुझाव को नेता जी ने स्वीकार कर लिया है। क्योंकि इसके लिए नेताजी को छोड़ना बहुत कुछ नहीं है। अगर विज्ञापन एजेंसी कहती की शराब पीना छोड़ दो तो मुश्किल हो सकती थी। लेकिन भला विज्ञापन एजेंसी किस मुंह से नेताजी को शराब पीने से मना करती। क्या जनता शराब नहीं पीती। हां विज्ञापन एजेंसी का इतना ही कहना है पीयो मगर कोका एवं पेप्सी के बोतल में। जिससे लगे की नेताजी ठंढा पी रहे हैं । हाँ रामदेवजी के शिष्य जहाँ हों वहां पेप्सी एवं कोला के बोतल में कदापि न पीयें। वरना आपकी लोकप्रियता पाताल लोक को छू सकती है। वहां आंवला एवं एलेवेरा के बोतलों में भरकर काम चलाया जा सकता है। और कहा जा सकता हैं कि मेरी सेहत का राज भी आंवला एवं एलूवेरा में समाया हुआ है। वैसे भी दवा एवं दारू में निकट का सम्बन्ध माना गया है। विज्ञापन एजेंसी ने नेताजी को हिदायत दी है कि वे सार्वजानिक स्थान पर शराब कदापि न पीयें वरना जनता उनको शराबी समझ सकती है। हाँ घर आकर दो के बदले चार बोतल गटक सकतें हैं । विज्ञापन एजेंसी ने नेताजी को सार्वजानिक स्थान पर क्रोध नहीं करने की भी सलाह दी है क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव लोगों पर पड़ सकता है । अगर कोई गाली भी सुनाये तो उसे तरकारी समझकर स्वीकार कर लीजिए । गाली सुनते वक्त ऐसा हाव-भाव बनाइए जैसे गाली सुनना आपकी आदत में सुमार हो । हाँ बाद में गाली देने वाले को आप ठिकाने लगा सकते हैं। विज्ञापन एजेंसी का यह भी कहना है की नेताजी के अवैध कामो से उसे ऐतराज नहीं है। हाँ इसका पता किसी को कानोकान नहीं होनी चाहिए।

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