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ये देश है वीर घोटालेबाजों का

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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जब भी मैं यह गाना सुनता हूं कि यह देश है वीर जवानों का, तो मेरा अंग-अंग फड़कने लगता है । मैं वीरतापूर्ण कार्यों को खोज में रोड पर चला जाता हूं। दंगा- फसाद होने की संभावना तलाशता हूं। तिल को ताड़ बनाता हूं लेकिन सब बेकार चला जाता है। फिर सोंचता हूं इस देश के लोग इतना कायर कब से हो गए हैं। क्या शांति का वातावरण उन्हें बोर नहीं करता ? क्या लोग मनोरंजन के महत्व को जीवन में भूलते जा रहें हैं ? नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें कुछ करना चाहिए वरना मेरी प्रतिभा दबी रह जाएगी । मेरी किंकर्तब्यविमूढ़ता पर राष्ट्र मुझपे थंूकेगा।
आज पूरा देश घोटालामय हो गया है। जहां देखो वहां घोटाला। अलाना घोटाला फलाना घोटाला। घोटालों का इतना प्रकार हो गया है कि उन्हें याद रखने के लिए रट्टा लगाना पड़ रहा है।
मैं अक्सर सोंचता हूं इस देश के लोगोें को घोटालों से इतनी नफरत क्यों है ? क्या घोटाला करना बच्चों का खेल है? क्या इसे कमजोर दिल इनसान कर सकता है ? नहीं घोटाला बहादुरी की मांग करता है। इसे शेरे दिल इनसान हीं कर सकता है। शेर घोटाला करता है और सियार हुआऊ-हुआऊं करते हैं । इस देश में शेरे दिल इनसान कौन है इसे बताकर मैं आपकी प्रतिभा दबाना नहीं चाहता हूं। आप खुद प्रतिभावान हैं। कुछ लोग नेताओं से अपनी तुलना तो कर लेते है। लेकिन नेताओं जैसे हिम्मत रखने में उनको नानी याद आ जाती है। जिसमें रिस्क उठाने की क्षमता नहीं वो क्या खाक तरक्की करेगा। नेता रिस्क उठाते हैं और तरक्की करते है। आखिर सफल बिजनेस के लिए रिस्क उठाने की क्षमता भी तो एक अनिवार्य षर्त है।
एक बार फिर मैं आपको बताऊं जब भी मैं यह देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का सुनता हूं तो मेरा रोम-रोम देशभक्ति से सराबोर होने लगता है। आखिर एक अरब से ज्यादा की फौज जिसकी देख- रेख करने वाली हो उसका कोई बाल बांका कैसे कर सकता है। आप पूछेंगे इस देश में फिर आतंकवादी हमले क्यों होते हैं? घोटाला क्यों होता हैं? तो इसका उत्तर है कि हम इसे होने देते हैं। क्योकि हम इतना कठोर भी तो नहीं हो सकते। कुछ तो उदारता हममें होनी चाहिए। जिस देष में दया एवं करूणा की महिमा गाई गई हो। क्या वहां इतनी कठोरता स्वीकार होगी ?वैसे हीं हमलोग बहुत षरीफ आदमी है। इतना षरीफ कि किसी लड़की को अगर कोई बदमाष छेड़ता है या किसी वृद्ध को कोई बदमाष लूटता है, तब भी हम कुछ नहीं बोलते। फिर आप पूछेंगे कि हम इतना शरीफ क्यों हैं ? तो उत्तर है शरीफ बनना हमारी मजबूरी है जी। फिर लोग पूछेंगे कि शरीफ होना आपकी मजबूरी क्यों है ? तो उत्तर है कि हम लुच्चा लफंगा नहीं कहलाना चाहते हैं। इसके बाद भी लोग आपके मुंह लगेंगे। लेकिन इसके बाद आपका उत्तर होना चाहिए कि हम छोटे लोगों को मुंह नहीं लगाते।
हां तो मैं बात कर रहा था देशभक्तों की। तो सूनिए देश भक्ति चालिसा । काॅमन वेल्थ गेमस में लाखो-करोडो का जो घोटाला हुआ वह भी किसी देश भक्त के हीं जेब में गया है । आदर्श घोटाले ने जो देष में आदर्ष रखी वह किसी देश भक्त के चलते हीं हो सका। आज जो सड़क बनती है दूसरे दिन टूट जाती। वह किसी देश भक्त के द्वारा हीं बनायी गई होती है। देशभक्तों के चलते हीं सरकार द्वारा जारी किया गया एक रूपया जनता तक 15 पैसे पहुंचता है। देश भक्तों के हित में हीं दहेज हत्या के कानून कड़ाई से नहीं लागू हो पाता। देशभक्तों के लिए हीं चैरी, डकैती एवं अपहरण जैसे उद्योग देष में फल-फूल रहा है। आखिर देश भक्ति के चलते हीं लाखों -करोड़ो बच्चे काम पाते हैं। वरना दो कौड़ी पर भी उन्हें कोई नहीं पूछता और लोग बाल श्रम का विरोध करते हीं रह जाते। देश भक्तों का हीं पैसा स्विस बैंक में जमा होता है। ताकि आड़े समय में वह देश के काम आ सके। इन दिनों लोग कालेधन को देश में वापस लाने के लिए लामबंद हो रहे हैं। रामदेव जी तो देश की प्रतिष्ठा को खाक में मिलाने पर तुले हुए हैं। उनसे कड़ाई से निपटा जाना चाहिए। क्या वे नहीं चाहते कि देश अपने काल धन के लिए संपूर्ण विश्व में जाना जाए। आखिर ये लोग क्यों नहीं समझते की स्विस बैंक में पैसा जमा होने से देश का मान बढ़ता है। हम सीना तानकर दुनिया वालों से कह पाते हैं कि देश गरीब नहीं हैै बल्कि देश के पास इतना पैसा है कि उसे रखने लिए देश में जगह हीं नहीं है।
ऐसा नहीं देश भक्तों की बाढ़ आज हीं आई हो । पहले भी कुछ देश भक्तों के चलते देश गुलाम रहा। ऐसे हीं देशभक्तों के चलते अंग्रेज अफसरों ने अपनी और कुछ देश भक्तों की तिजोरियां भर दी।
इसके आलावे भी बहुत से देश भक्त हैं जो अपने-अपने ढंग से देश की सेवा करते रहते हैं जैसे चरस बेंचकर , हेरोइन बेंचकर और कालाबाजारी करके आदि।

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