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इन्द्र का विलाप

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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इन्द्र का भगवान विष्णु के घर आगमन। त्राही माम् त्राही माम् कहकर उनके चरणों में लोट जाना। भगवान का आष्चर्य चकित होना और सोचना आखिर इन्द्र को यह क्या हो गया है। बचाओ -बचाओ का स्वर फिर इन्द्र के मुंह से फूट पड़ना। क्या हुआ इंद्र किससे तुम्हें बचाऊं। यहां तो नारद के सिवाय कोई नहीं है। वो भी अपने स्वभाव के विपरीत चुपचाप बैठे हैं। फिर कुछ सोचकर इन्द्र राक्षस फिर से आक्रमण कर दिए हैं क्या? । नहीं भगवान मृत्युलोक के लोग घनघोर तपस्या कर रहें । उनके तपस्या से जब मेरा इंद्रासन डोलने लगा तो मै आपके पास दौड़ा चला आया। आखिर आपहीं तो मेरा आश्रयदाता हैं। माई-बाप हैं। मेरी हर मुष्किल घड़ी में आखिर आपहीं ने तो साथ दिया है। सच है जगत के और संबंध मिथ्या है। प्रभु से प्रीत लगाने में हीं जीव की सार्थकता है। फिर इन्द्र ने षंका जाहिर किया लगता है भगवन वे इन्द्रासन पर कब्जा करने के लिए तपस्या कर रहे हैं। व्रत एवं उपवास कर रहे हैं। खासकर नरेन्द्र मोदी जी एवं बघेला जी से मैं खाषा चिन्तित हूं। वे दोनो प्रतिस्पर्धा पर व्रत एवं उपवास कर रहे। यहीं नहीं उत्तर प्रदेष में भी नेता थोक के भाव में अनुष्ठान करा रहे हैं। स्थिति यहां तक पहंुच चुकी है कि पंडितों की एडवांस बुकिंग हो गयी है। सामान्य भक्तों को पूजा-पाठ कराना मुष्किल हो रहा है। राजनेताओं के घर अनुष्ठान को देखकर, मुझे प्रतीत हुआ कि यह राजसत्ता के लिए हीं हो रहा होगा। वो आपको पाने के लिए थोड़े अनुष्ठान कर रहे हैं। हे नटवर मेरा डर काल्पिक कैसे हो सकता है। अगर नेता चुनाव के वक्त अनुष्ठान करा रहा है तो वह राजसत्ता के लिए करा रहा होगा न। वैसे भी नेताओं की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं से आज परचित कौन नहीं है। नेताओं के बढ़ती महत्वाकांक्षा से मैं विषेड्ढ चिंतित हूं नटवर। वे जेल यात्रा को इतना सहज ले रहे हैं, मानो जेल नहीं किसी पर्यटन स्थल पर जा रहे हों। । इससे मेरी चिंता और बढ़ गयी है मुरली मनोहर। मैं यह सोचकर भयभीत हूं कि अगर कभी वे आपसे इन्दासन मांग लिए । और आपने प्रसन्न होकर उन्हें दे दिया तो मेरा क्या होगा कृष्ण कन्हैया। क्या ऐषो -आराम के बिना मैं एक दिन भी रह सकूंगा। यहीं सोंचकर हमें नीद नहीं आ रही है दुनिया के दाता। यहीं नहीं नटवर उनकी बीबीयां भी आपको मनाने के लिए अनुष्ठान कर रही हैं। ऐसे में मेरा डरना स्वभाविक है कि नहीं। आखिर नारी षक्ति के आगे हर कोई नतमस्तक हुआ है। आपभी हो सकते हैं। दूसरी बात सामुहिक पूजन का फल भी अधिक कहा गया है। मुझे डर है भगवन कहीं आप जनमत से प्रभावित न हो जाएं। ठीक वैसे जैसे धरती पर नेता बहुमत को ध्यान में रखकर हर फैसले लेते हैं। वैसे भी आप सरल हृदय हैं आपको लोग बहला फुसला जल्दी लेते हैं। इसलिए उत्तर प्रदेष चुनाव तक कृपया आप मुझे अपने साथ रखें।

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