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नेताजी का चिंतन

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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उत्तर प्रदेष चुनाव किसी के लिए राजयोग लेकर आया है तो किसी के लिए स्वाथ्यय योग। तो अनेकों के लिए कंगालयोग भी । राजयोग एवं कंगाल योग की चर्चा बाद में होगी। आइए पहले हम स्वास्थ्य योग की चर्चा करता करते हैं। लफुआ एंड कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार देष के ज्यादातर वीआईपी हैवी वेट के षिकार हंै। चाहे मंत्री हो, सांसद हों, विधायक हों, या फिर अधिकारी सभी की एक हीं बीमारी है। लेकिन आषा है कि इसमें से नेताओं की अधिकांष बीमारी का इलाज उत्तर प्रदेष चुनाव में हो जाएगा। कारण कि उनको इस चुनाव में खूब परिश्रम करना होगा। खूब पसीना बहाना होगा। परिणाम घोड्ढित होने पर षाॅक थेरेपी एवं हड्र्ढ थेरेपी दोनों हो जाएगी। झोलाछाप डाॅक्टरों का इसके विपरीत मत है। उनका कहना है कि उत्तर चुनाव के दौरान उनके सेहत में सुधार न होकर उनके स्वास्थ्य में गिरावट दर्ज की जायेगी। झोलाछाप डाॅक्टरों का तर्क है कि इसका कारण यह है कि चिंतन करके परिश्रम तो वे लोग पहले से कर रहे हैं। क्षेत्र भ्रमण उनके लिये ओवर डोज हो जायेगा। इस पर कुछ लोग चुटकी लेने से भी नहीं चूकते और कहते हैं कि आखिर नेताओं को चिंता नहीं होगी तो किसे होगी। आखिर घोटाले के तरीके जो उन्हें सोचना होता है। घोटाला करके बचाव जो करना होता है। घोटाला करने वाला भी चिन्तित है और नहीं करने वाला भी। यह तो वह बात हुई न जो खाये वो भी पछताए जो न खाये वो भी पछताए। जिन्हें घोटाले नहीं करने का मौका मिला है वे भी चिंंितत हैं और जिन्हें मिला है वे भी चिन्तित हैं। मेरे क्षेत्र के नेताजी की इस बीमारी से हालत सीरियस है। उनके लिए चिंता एवं चिंतन एक हीं है।
नेताजी की कर्मठता आलम यह है कि वे रात-दिन क्षेत्र के विकास के लिए चिंतित रहते हैं। चिंता से उनका वजन 65 किलो से 105 किलो का हो गया है। पिछले कुछ वड्र्ढों में क्षेत्र हित में वे इतना चिन्तित रहे हैं उन्हें पता हीं नहीं चला कि पांच साल कैसे गुजर गया। षुरू से उनकी इच्छा रही है कि ,उनके क्षेत्र का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो। इसके लिए पूरे पांच साल चिंतन किए हैं। उनका का कहना है कि क्षेत्र को विष्व मानचित्र पर लाने के लिये पांच साल का चिंतन काफी नहीं है। उन्हें पांच साल और मौका दिया जाना चाहिए। जनता आखिर नेताजी के त्याग को किस मूंह से भूलेगी कि उन्हें मौका नहीं देगी। चिंतन में निमग्न रहने के चलते वे पांच वड्र्ढ में पांच बार भी क्षेत्र में दर्षन नहीं दिये हैं। लोग अब अखिंया हरिदर्षन की जगह नेताजी के दर्षन को प्यासी गा रहें हैं। नेताजी ने पत्नी से साफ कर दिया है कि, जब वे जनता का हित चिंतन करते हों तो कोई उन्हें डिस्टर्ब न करे। आखिर जनता के हीं पुण्य प्रताप से वे फल-फूल रहे हैं। दिन दूनी रात चैगुनी उन्नति कर रहे हैं। पहले साईकिल पर चलते थे। अब कार एवं हवाई जहाज की षैर करते हैं। उनका कहना है कि आज भी वे साइकिल पर चलना चाहते हैं लेकिन जनता की इज्जत का ख्याल कर ऐसा नहीं करते। आखिर जनता की नाक जो कट जाएगी उनके साइकिल पर चलने से। उनके चिंतन से भाभीजी यानी नेताजी की धर्मपत्नी जी डबल चिंतित हैं। भाभीजी के बार-बार अपील करने पर भी वे परिश्रम करना नहीं छोड़ते। ज्यादा परिश्रम करने का नतीजा है कि वे हैवी वेट का षिकार हो गये हैं। और डायबीटीज जैसी बीमारी हो गयी है। वे डायबटीज का षिकार होकर इस मिथक को तोड़ दिए हैं कि डायबटीज परिश्रम करने वाले को नहीं होता। आखिर चिंतन परिश्रम में नहीं आता है तो किसमें आता है? आषा है कि उनके हित चिन्तन का परिणाम इस चुनाव में जरूर मिल जाएगा। इसके पहले भी कई रिकाॅड उनके नाम है। जैसे नैतिकता जैसी कोई चीज नहीं होती। सत्य मिथ्या कल्पना है आदि। इस चुनाव में वे जनता सेे वादा किये हैं कि अगर वे चुनाव जीत गये तो जनता के प्यार के कर्ज को चुका देंगे यानी तिहाड़ जाकर उनका नाम रौषन कर देंगे। वे इस क्षेत्र के उपलब्धि में एक अध्याय जोड़ने के लिए प्रयासरत है। कामना कीजिए वे सफल हों।

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