हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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बेरोजगारी की बात करना नाहक है।
सरकार की अक्षमता की बात करना संहारक है।
रामलीला मैदान जैसा कष्टदायक है।
निगमानंद जैसा हश्रदायक है
नेताजी का जयमंत्र कल्याणकारक है
उनके गुणों का गुणगान करना फलदायक है।
उनकी परिक्रमा करना भवतारक है।
और विरोध करना मोक्षकारक है।
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