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उत्तर प्रदेष में अजब-गजब नजारा दिखाया जा रहा है

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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उत्तर प्रदेष में इन दिनों अजब-गजब नजारा दिखाया जा रहा है
कभी भिखारी कहकर जनता का मान बढाया जा रहा है
तो कभी त्वमेव माता चपिता त्वमेव गाया जा रहा है।
पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है।
जनता जर्नादन के चरणों में चढ़ाया जा रहा है।
सदाव्रत खूब लुटाया जा रहा है।
रामराज्य की याद दिलाया जा रहा है।
धर्म एवं जाति का इंजेक्षन लगाया जा रहा है।
जनता को मदहोषी की अवस्था में लाया जा रहा है।
सबको समान रूप से लॉलीपाप दिया जा रहा है।
सामाजिक समरसता लाने के लिए जातिवाद किया जा रहा है।
मुस्लिम आरक्षण प्रावधान किया जा रहा है
बांटो और राज करो के सिद्धान्त पर चला जा रहा है।
कुर्सी पाने के लिए सारे धर्मकर्म किया जा रहा है।
पुजारियों एवं मुल्लों से जीत का आर्षिवाद लिया जा रहा है।
जनता के दुखदर्द देखकर
नेताजी के आंखों से आंसुओं की धार बही जा रही है।
पांच साल सुध नहीं लेने के लिए पष्चाताप किया जा रहा है
चुनाव जीतने के बाद
क्षतिपूर्ति कर देने का आष्वासन दिया जा रहा है।
मलपूओं एवं मिष्ठानों का भोज खुब दिया जा रहा है।
रैलियों में भाग लेकर षहर घुमने का निमंत्रण दिया जा रहा है।
अपने नाम पर मुहर लगाने के लिए बताया जा रहा है।
पांच साल को नाकाफी बताया जा रहा है।
एकबार और मौका देने के लिए पटाया जा रहा है।
दीन-हीनों को गले से लगाया जा रहा है।
विरोधी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सताया जा रहा है।
चुनावी घोषणपत्र में किस्मत चमकाने के वादेे नेताजी द्वारा जनता से किया जा रहा है
और उसपर यकीन कर मुगेरीलाल के सपने जनता द्वारा बुना जा रहा है।

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